जब अपने पिता राजा शुद्धोधन के आग्रह पर भगवान बुद्ध कपिलवस्तु पधारे थे, उस समय राहुल-माता यशौधरा ने राजकुमार राहुल को इन्ही शब्दों से तथागत का परिचय दिया था-
जिनके रक्तवर्ण चरण (पांव) चक्रों से अलंकृत हैं, जिनकी लंबी एड़ी शुभ लक्षण वाली है, जिनके चरणों पर चंवर तथा छत्र अंकित हैं, जो नरों में सिंह के समान हैं, यही तेरे पिता हैं। (१)
जो कुमार श्रेष्ठ शाक्य राजकुमार हैं, जिनका संपूर्ण शरीर सुंदर लक्षणों से चित्रित है, जो नरों में वीर है, जिन्होंने लोक हित के लिए घर का त्याग किया है,जो नरों में सिंह के समान हैं, यही तेरे पिता हैं। (२)
जिनका मुख पूर्ण चंद्रमा के समान प्रकाशित है, जो नरों में हाथी के समान हैं तथा जो सभी देवताओं और मनुष्यों के प्रिय हैं, जिनकी चाल मस्त गजेंद्र की सी है, जो नरों में सिंह के समान हैं, यही तेरे पिता हैं। (३)
जो श्रेष्ठ क्षत्रिय कुलोत्पन्न हैं जिनके चरणों की सभी देव और मनुष्य वंदना करते हैं, जिनका चित्त शील-समाधि में सुप्रतिष्ठित है, जो नरों में सिंह के समान हैं, यही तेरे पिता हैं। (४)
इनकी नासिका चौड़ी तथा सुडोल है, बछिया की सी जिनकी बरोनियाँ हैं, जिनके नेत्र सुनील वर्ण हैं, जिनकी बौहें इंद्रधनुष के समान है, जो नरों में सिंह के समान हैं, यही तेरे पिता हैं। (५)
जिनकी ग्रीवा (गर्दन) गोलाकार है, सुगठित है, जिनकी ठोड़ी सिंह के समान है तथा जिनका शरीर मृगराज के समान है, जिनका वर्ण सुवर्ण (सोने) के समान उत्तम है, जो जो नरों में सिंह के समान हैं, यही तेरे पिता हैं। (६)
जिनकी वाणी सिनग्ध (मधुर), गंभीर, सुंदर है, जिनका जिह्वा सिंदूर के समान रक्त वर्ण हैं, जिनके मुहँ में श्वेत वर्ण के बीस-बीस दांत हैं, जो नरों में सिंह के समान हैं, यही तेरे पिता हैं। (७)
जिनके केश सुरमे के समान नीलवर्ण हैं, जिनका ललाट सोने के समान विशुद्ध है, जिनके भोंहों के बीच के बाल औषधि तारे के समान हल्का पीला है, जो नरों में सिंह के समान हैं, यही तेरे पिता हैं। (८)
जो आकाश में चंद्रमा की भांति आगे बढ़े जा रहे हैं, जो (श्रमणेन्द्र) अपने श्रावकों से उसी प्रकार घिरे हुए हैं जैसे चंद्रमा तारों से, जो नरों में सिंह हैं, यही तेरे पिता हैं। (९)
– राहुल वत्थुकथा वण्णना
प्रस्तुति: डी. आर. बेरवाल ‘धम्मरतन’