धम्मपद – यमकवग्गो # 16

इध मोदति पेच्च मोदति

कतपुञ्ञो उभयत्थ मोदति ।

सो मोदति सो पमोदति

दिस्वा कम्मविसुद्धमत्तनो ।।१६।।

हिंदी अर्थ

शुभ कर्म करने वाला मनुष्य दोनों जगह प्रसन्न रहता है– यहां भी और परलोक में भी । अपने शुभ कार्म को देखकर वह मुदित होता है, प्रमुदित होता है ।

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