इध तप्पति पेच्च तप्पति
पापकारी उभयत्थ तप्पति । पापं मे कतंति तप्पति
भीय्यो तप्पति दुग्गतिङ्गतो ।।१७।।
हिंदी अर्थ
पापी मनुष्य दोनों जगह सतप्त होता है, यहां भी और परलोक में भी। ‘मैने पाप किया है’ सोच सन्तप्त होता है, दुर्गति को प्राप्त हो और भी सन्तप्त होता है ।