धम्मपद – यमकवग्गो # 19

बहुँपि चे सहितं भासमनो
न तक्करो होति नरो पमत्तो।
गोपो व गावो गणयं परेसं
न भागवा सामञ्ञस्स होति ।।१।।

हिंदी अर्थ

धर्म-ग्रन्थों का कितना ही पाठ करे, लेकिन यदि प्रमाद के कारण मनुष्य उन धर्म-ग्रन्थों के अनुसार आचरण नहीं करता, तो दूसरों की गौवें गिनने वाले ग्वालों की तरह वह श्रमणत्व का भागी नहीं होता।

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