Buddha and Angulimala story

अंगुलिमाल  नाम का एक भयानक डाकू था वह नजदीक के गांव के लोगों की उंगलियाँ काट लेता था और माला बनाकर अपने गले में पहन लेता था। इसी कारण उसका नाम अंगुलिमाल पड़ा था। अंगुलिमाल का नाम सुनते ही लोग थर -थर कांपने लगते थे।

एक बार भगवान बुद्ध (Gautam Buddha) अपने उपदेश देते -देते हुए उस गांव में आ गए जिस गांव में अंगुलिमाल (Angulimala) नामक डाकू का आतंक फैला हुआ था। गांव के लोगों ने उनसे प्रार्थना की के वो वहां से चले जाएं। लोगों ने अंगुलिमाल डाकू के कहर के बारे में सब कुछ भगवान बुद्ध को बता दिया। बुद्ध ने बड़े ही ध्यान से गाँव के लोगों की बात सुनी पर उन्होंने अपना ईरादा नहीं बदला। वह बिना किसे डर वहां घूमने लगे।

अंगुलिमाल (Angulimala) को जब इसका पता चला वह बड़े ही गुस्से के साथ बुद्ध के पास पहुंचा। अंगुलिमाल इतने गुस्से में था के वह बुद्ध को मार देना चाहता था परन्तु जब अंगुलिमाल वहां पहुंचा तो उसने भगवान बुद्ध को वहां खड़े हंसते हुए देखा। तब डाकू का गुस्सा थोडा सा ढलने लगा

बुद्ध ने डाकू से कहा ऐ भाई जरा इस पेड़ से चार पत्ते तोड़ लाओगे ? पर यह तो कोई मुश्किल काम नहीं था अंगुलिमाल झट से गया और चार पत्ते ले आया। इसके बाद भगवान बुद्ध ने कहा भाई एक काम और कर दो यहाँ से तुमने पत्ते तोड़े हैं उन्हें वहीँ वापिस लगा दो।

अंगुलिमाल यह सुनते ही चौंक गया उसने बुद्ध से कहा यह कैसे हो सकता है ? इसके बाद बुद्ध ने कहा भाई जब तुम अच्छी तरह से जानते हो के टूटा हुआ जुड़ता नहीं तो फिर तोड़ने का काम क्यों करते हो । इतना सुनते ही अंगुलिमाल को ज्ञात हो गया था और उसने लोगों पर अत्याचार करने बंद कर दिए और वो बुद्ध की शरण में आ गया।

2 thoughts on “Buddha and Angulimala story”

Leave a Comment