हिन्दी अर्थ
सभी धर्म (चैतसिक अवस्थायें) पहले मन में उत्पन्न होते हैं, मन ही मुख्य है, वे मनोमय हैं। जब आदमी मलिन मन से बोलता व कार्य करता है, तब दुःख उसके पीछे पीछे वैसे ही हो लेता है, जैसे (गाड़ी के) पहिये बैल के पैरों के पीछे पीछे ।
सभी धर्म (चैतसिक अवस्थायें) पहले मन में उत्पन्न होते हैं, मन ही मुख्य है, वे मनोमय हैं। जब आदमी मलिन मन से बोलता व कार्य करता है, तब दुःख उसके पीछे पीछे वैसे ही हो लेता है, जैसे (गाड़ी के) पहिये बैल के पैरों के पीछे पीछे ।