धम्मपद – यमकवग्गो – 1

मनोपुब्बङ्गमा धम्मा मनोसेट्ठा मनोमया ।

मनसा चे पदुट्ठेन भासति वा करोति वा ।

ततो’नं दुक्खमन्वेति चक्कं’व वहतो पदं ।। १।।

हिन्दी अर्थ

सभी धर्म (चैतसिक अवस्थायें) पहले मन में उत्पन्न होते हैं, मन ही मुख्य है, वे मनोमय हैं। जब आदमी मलिन मन से बोलता व कार्य करता है, तब दुःख उसके पीछे पीछे वैसे ही हो लेता है, जैसे (गाड़ी के) पहिये बैल के पैरों के पीछे पीछे ।

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