धम्मपद – यमकवग्गो # 13

यथागारं दुच्छन्नं वुट्ठी समतिविज्झति ।
एवं अभावितं चित्तं रागो समतिविज्झति ॥ १३॥

हिन्दी अर्थ

यदि घर की छत ठीक न हो, तो जिस प्रकार उसमें वर्षा का प्रवेश हो जाता है, उसी प्रकार यदि (संयम का) अभ्यास न हो, तो मन में राग प्रविष्ट हो जाता है।

Leave a Comment