धम्मपद – यमकवग्गो # 14

यथागारं सुच्छन्नं वुट्ठी न समतिविज्झति ।

एवं सुभावितं चित्तं रागो न समतविज्झति ।।१४।।

हिंदी अर्थ

यदि घर की छत ठीक हो, तो जिस प्रकार उसमें वर्षा का प्रवेश नहीं होता, उसी प्रकार यदि (संयम का) अभ्यास हो, तो मन में राग प्रविष्ट नहीं होता।

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