धम्मपद – यमकवग्गो – 5

न हि वेरेन वेरानि सम्मन्तीध कुदाचनं ।

अवेरेन च सम्मन्ति एस धम्मो सनन्तनो ।।५॥

हिन्दी अर्थ

वैर, वैर से कभी शान्त नहीं होता; अवैर से ही वैर शान्त होता है–यही संसार का सनातन नियम है ।

Leave a Comment