हिंदी अर्थ
जो काम-भोग के जीवन में रत नहीं है, जिसकी इन्द्रियाँ उसके काबू में हैं, जिसे भोजन की उचित मात्रा का ज्ञान है, जो श्रद्धावान् तथा उद्योगी है, उसे मार वैसे ही नहीं हिला सकता, जैसे वायु हिमालय पर्वत को ।
जो काम-भोग के जीवन में रत नहीं है, जिसकी इन्द्रियाँ उसके काबू में हैं, जिसे भोजन की उचित मात्रा का ज्ञान है, जो श्रद्धावान् तथा उद्योगी है, उसे मार वैसे ही नहीं हिला सकता, जैसे वायु हिमालय पर्वत को ।