दोस्तों समृद्धि कौन नहीं चाहता है। लेकिन सवाल यह उठता है कि बहुत से व्यक्ति अत्याधिक कठिन परिश्रम करते हैं परंतु फिर भी समृद्ध नहीं होते हैं। क्यों? दिन रात कठिन परिश्रम करने के बाद भी पैसों की किल्लत और बरकत नहीं होना आप को हतोत्साहित कर सकता है।
परंतु यदि हम समृद्धि को आध्यात्मिकता से जोड़ लेते हैं तो हमारा समृद्ध होना तय है। उसके लिए हमें निम्न बातों को अपने जीवन में उतारना होगा।
सम्यक आजीविका
हमें हमारे पैसे इमानदारी से कमाने चाहिए। यह समृद्ध होने के लिए प्रथम नियम है कि हमारी आजीविका सम्यक हो। हम ऐसे पैसे कमाए जिससे किसी दूसरे की हानि ना हो। किसी को कोई कष्ट न पहुंचे।
दान
अपनी सम्यक आजीविका का कुछ हिस्सा हमें जरूर दान करना चाहिए। दान देने से घर में समृद्धि बढ़ती है।
कृतज्ञ होना
ईश्वर ने हमें जो कुछ भी दिया है उसके लिए हमें कृतज्ञ होना चाहिए। कृतज्ञता एक ऐसी ही चमत्कारी विद्या है जो समृद्धि को कई गुना बढ़ा देती है। यदि हम कृतज्ञ भाव रखेंगे तो ईश्वर या प्रकृति हमें समृद्धता से भर देगी।
नियत को साफ रखना
हमें कभी लालच नहीं करना चाहिए। अपनी नियत को साफ रखना चाहिए। नियत हमारे कर्मों को भी पलट देती है। यदि हम बुरी नीयत से अच्छे कार्य करें तब भी परिणाम बुरे ही आएंगे। इसलिए दोस्तों उन्नति समृद्धि के लिए अपनी नियत साफ रखें।
निस्वार्थ सेवा
जिनसे हमें बदले में कुछ नहीं मिल सकता उनकी सेवा करके जो पुण्य हम प्राप्त करते हैं उससे हमारे जीवन में खुशियां, सुख, शांति व समृद्धि कई गुना बढ़ जाती है।
मंगल मैत्री
सभी प्राणियों के लिए मंगल मैत्री करके हम अपने मन की शांति को प्राप्त कर सकते हैं। शांत व सुखी मन हमें समृद्धि की तरफ ले जाता है।
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दोस्तों! इन उपायों को अभी से अपनाएं और अपने जीवन में समृद्धि, बरकत, सुख शांति लाएं।