स्वभाव की पहचान | Buddha Story in Hindi

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यह उस समय की बात है जब गौतम बुद्ध एक मृग के रूप में पैदा हुए थे. वह जंगल में फल खाकर रहते थे. उस जंगल में एक शिकारी भी मृग का शिकार करने आता था. वह फलदार वृक्षों के नीचे मृग के पदचिन्ह देखकर उस वृक्ष पर अटारी बनकर बैठ जाता था. जैसे ही कोई … Read more

हमारे देश को विकसित बनाने में मेडिटेशन का योगदान

हमारे देश को विकसित बनाने में मेडिटेशन का योगदान दोस्तों किसी देश का निर्माण वहां निवास कर रहे निवासियों से होता है अर्थात कोई देश अपने लोगों की वजह से ही अच्छा विकसित कहलाता है. आपने कभी सोचा है कि हमारे देश भारत को विकासशील से विकसित बनने में इतना समय क्यों लग रहा है. … Read more

पत्थर और घी

सदियों पहले किसी पंथ के पुरोहित नागरिकों के मृत संबंधी की आत्मा को स्वर्ग भेजने के लिए एक कर्मकांड करते थे और उसके लिए बड़ी दक्षिणा माँगते थे. उक्त कर्मकांड के दौरान वे मंत्रोच्चार करते समय मिट्टी के एक छोटे कलश में पत्थर भरकर उसे एक छोटी सी हथौड़ी से ठोंकते थे. यदि वह पात्र … Read more

बुद्ध की सिख | Buddha Story in Hindi

एक स्त्री का एक ही बेटा था, वह भी मर गया तो रोती-बिलखती वह महात्मा बुध्दके पास पहुंची और उनके पैरों में गिरकर बोली, ‘महत्माजि, आप किसी तरह मेरे लाल को जीवित कर दें |’ महत्मा बुद्ध ने उसके प्रति सहानुभूति जताते हुए कहा, ‘तुम शोक न करो | बुद्ध ने उस महिला को सत्य … Read more

ऐसा सभी के साथ होता है

एक दिन सिद्धार्थ ने अपने सारथी छंदक को नगर भ्रमण के लिए चलने को कहा, छंदक ने तुरंत राजकुमार के प्रिय घोडे कंथक को तैयार किया। उस पर राजकुमार को सवार कराकर वह नगर-भ्रमण के लिए चल पडा। राजा शुद्धोधन ने ऐसा प्रंबध कराया था कि राजकुमार को मार्ग में केाई करूणाजनक दृष्य दिखाई न … Read more

Buddha and Angulimala story

अंगुलिमाल  नाम का एक भयानक डाकू था वह नजदीक के गांव के लोगों की उंगलियाँ काट लेता था और माला बनाकर अपने गले में पहन लेता था। इसी कारण उसका नाम अंगुलिमाल पड़ा था। अंगुलिमाल का नाम सुनते ही लोग थर -थर कांपने लगते थे। एक बार भगवान बुद्ध (Gautam Buddha) अपने उपदेश देते -देते … Read more

धर्म और धम्म में अंतर

Dhamma-vs-dharma

बुध्द कहते हैं- ईश्वर कहीं भी नही हैं उसे ढूढ़ने में अपना वक़्त और ऊर्जा बर्बाद मत करों । *धर्म और धम्म में अंतर* धर्म में आप ईश्वर के खिलाफ नहीँ बोल सकते, धर्म ग्रंथो की अवेहलना नहीँ कर सकते, अपनी बुद्धि का प्रयोग नहीँ कर सकते। जबकि धम्म मेँ तो स्वयं को जाँचने परखने … Read more