धम्मपद – अप्पमादवग्गो # 8

पमादं अप्पमादेन यदा नुदति पण्डितो । पञ्ञापासादमारुय्ह असोको सोकिनि पजं । पब्बतट्ठो व भुम्मट्ठो धीरो बाले अवेक्खति |॥८॥

हिंदी अर्थ

जब बुद्धिमान् आदमी प्रमाद को अप्रमाद से जीत लेता है, तो प्रज्ञा-रूपी प्रासाद पर चढ़ा हुआ वह शोकरहित धीर मनुष्य दूसरे शोक-ग्रस्त मूर्ख जनों की ओर उसी तरह देखता है, जैसे पर्वत पर खड़ा हुआ आदमी जमीन पर खड़े हुए आदमियों की ओर ।

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