ठण्ड के समय की बात है एक बार गौतम बुद्ध गंगा नदी के किनारे से गुजर रहे थे तभी उन्होंने देखा कि एक ब्राह्मण नदी में डुबकियाँ लगा रहे हैं।
गौतम बुद्ध ने अपने साथ चल रहे उस व्यक्ति से ब्राह्मण के इतने ठंड में गंगा नदी में स्नान का कारण पूछा।
व्यक्ति बोला यह ब्राह्मण प्रातःकाल में स्नान करने गये और जैसे ही स्नान करके बाहर आये तो मेढक उनके पैर के नीचे आ गया।
ब्राह्मण ने सोचा कि मैं अछूत हो गया हूँ और मुझसे पाप हो गया। इस कारण अपना पाप धोने के लिए ब्राह्मण ने 108 बार गंगा नदी में डुबकी लगाने का संकल्प लिया।
गौतम बुद्ध ने उस व्यक्ति के पास जाकर बोले कि हे ब्राह्मण! आप ठंड से कांप रहे हैं अगर आप ऐसा करेगे तो बीमार पड़ जायेगे।
ब्राह्मण बोला भगवान जी अनजाने में मुझसे पाप हो गया है और इस पवित्र नदी में नहा लेने से मेरे पाप धुल जायेगे।
गौतम बुद्ध बोले अगर इस नदी में डुबकी लगाने से आपके पाप धुल जायेगे तो इस नदी में रात -दिन रहने वाले मेढक पर पाव आने से आप अपवित्र कैसे हो गए?
वह बोले कि अगर आपको लगता है कि आप के नदी में डुबकी लगाने से आपके पाप धुल जायेगे, तो इस नदी में रहने वाली मछली, साँप, मेढक और दूसरे जिव -जंतु को कभी की मुक्ति मिल गई होती।
ब्राह्मण यह सुनकर बोले आप तो बात सत्य कह रहे हैं। ऐसा तो मेने कभी सोचा ही नहीं।
गौतम बुद्ध बोले नदी में डुबकी लगाने से पापों का नाश नहीं होता। पाप का नाश करने के लिए विवेक जगाना और अच्छे कर्म करना आवश्यक है।
ब्राह्मण बोले इतनी सी बात को आसानी से समझाने वाले आप कोई असाधारण व्यक्ति ही हो सकते हैं। कब से अंधे पशु की तरह बनाये रास्ते पर चल रहे थे।आपने हमारी आंखे खोल दी।
गौतम बुद्ध बोले – हर बात जो लिखी गई है जो हमें दिखाई जाती है, जो असंख्य वर्षो से हमें सुनाई जा रही है, उस पर संदेह कर उसको अपने सत्य पर परखना चाहिए।
वो गलत भी हो सकती है। बिना सच जाने उन बातों को उन मत मानो जिनका कोई आधार नहीं है।
मनन करो भले ही वह व्यक्ति कितना ही ओजस्वी हो, भले ही धर्मग्रंथ की शिक्षाये तुम्हारे सामने हो लेकिन वह समयानुकूल नहीं है तो उनको छोड़ दो। अनुभुती पर उतरो ।।