बंदरों की भेड़चाल | The Monkeys Experiment

एक बार कुछ बंदरों को एक बड़े से पिंजरे में डाला गया और वहां पर एक सीढी लगाई गई। सीढी के ऊपरी भाग पर कुछ केले लटका दिए गए। उन केलों को खाने के लिए एक बन्दर सीढी के पास पहुंचा। जैसे ही वह बन्दर सीढी पर चढ़ने लगा, उस पर बहुत सारा ठंडा पानी … Read more

72वें गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई एंव शुभकामनाएं।

72वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर समस्त देशवासियों, मित्रों व भाई-बहनों को गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई एंव शुभकामनाएं। हम लोग गणतंत्र के महानायक परमपूज्य बाबा साहेब डा. बी.आर. अम्बेडकर जी के हमेशा ऋणी रहेंगे, जिन्होंने समता पर आधारित दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान दिया। उन्होंने आजाद भारत में सभी वर्गों की समान … Read more

धम्मपद – यमकवग्गो # 17

इध तप्पति पेच्च तप्पति पापकारी उभयत्थ तप्पति । पापं मे कतंति तप्पति भीय्यो तप्पति दुग्गतिङ्गतो ।।१७।। हिंदी अर्थ पापी मनुष्य दोनों जगह सतप्त होता है, यहां भी और परलोक में भी। ‘मैने पाप किया है’ सोच सन्तप्त होता है, दुर्गति को प्राप्त हो और भी सन्तप्त होता है ।

गणतंत्र दिवस समारोह 2021 #बुद्धा हिल्स

सभी नागरिक बंधुओ एवं बहनों,सादर नमो बुद्धाय🙏 आप सभी को यह जानकर हर्ष होगा कि हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी “बुद्धा हिल्स” स्थित बुद्ध ज्योति विहार, अजमेर में 72वा गणतंत्र दिवस समारोह प्रात:8:30 बजे से मनाया जाएगा। इस अवसर पर निम्नलिखित कार्यक्रम होंगे। 1.ध्जारोहण व राष्ट्रगान2. विचार गोष्ठी विषय – “गणतंत्र और राजतंत्र … Read more

धम्मपद – यमकवग्गो # 16

इध मोदति पेच्च मोदति कतपुञ्ञो उभयत्थ मोदति । सो मोदति सो पमोदति दिस्वा कम्मविसुद्धमत्तनो ।।१६।। हिंदी अर्थ शुभ कर्म करने वाला मनुष्य दोनों जगह प्रसन्न रहता है– यहां भी और परलोक में भी । अपने शुभ कार्म को देखकर वह मुदित होता है, प्रमुदित होता है ।

99 ऊंट की कहानी | Hindi Stories

एक अंधेरी रात में एक काफिला एक रेगिस्तानी सराय में जाकर ठहरा। उस काफिले के पास सौ ऊंट थे। उन्होंने खूंटियां गाड़कर ऊंट बांधे, किंतु अंत में पाया कि एक ऊंट अनबंधा रह गया है। उनकी एक खूंटी और रस्सी कहीं खो गई थी। अब आधी रात वे कहां खूंटी-रस्सी लेने जाएं! काफिले के सरदार … Read more

धम्मपद – यमकवग्गो # 15

इध सोचति पेच्च सोचतिपापकारी उभयत्य सोचति । सो सोचति सो विहञ्ञति दिस्वा कम्मकिलिट्ठमत्तनो ।।१५।। हिंदी अर्थ पापी मनुष्य दोनों जगह शोक करता है–यहाँ भी और परलोक में भी । अपने दुष्ट कर्म को देखकर वह शोक करता है, पीड़ित होता है।

नदी स्नान से पाप मुक्ति नहीं | Gautam Buddha Story in Hindi

ठण्ड के समय की बात है एक बार गौतम बुद्ध गंगा नदी के किनारे से गुजर रहे थे तभी उन्होंने देखा कि एक ब्राह्मण नदी में डुबकियाँ लगा रहे हैं। गौतम बुद्ध ने अपने साथ चल रहे उस व्यक्ति से ब्राह्मण के इतने ठंड में गंगा नदी में स्नान का कारण पूछा। व्यक्ति बोला यह … Read more

धम्मपद – यमकवग्गो # 14

यथागारं सुच्छन्नं वुट्ठी न समतिविज्झति । एवं सुभावितं चित्तं रागो न समतविज्झति ।।१४।। हिंदी अर्थ यदि घर की छत ठीक हो, तो जिस प्रकार उसमें वर्षा का प्रवेश नहीं होता, उसी प्रकार यदि (संयम का) अभ्यास हो, तो मन में राग प्रविष्ट नहीं होता।