धम्मपद – यमकवग्गो # 18
इध नन्दति पेच्च नन्दतिकतपुञ्ञो उभयत्थ नन्दति ।पुञ्ञं मे कतन्ति नन्दति भीय्यो नन्दति सुग्गतिगतो ।।१८।। हिंदी अर्थ शुभ कर्म करनेवाला मनुष्य दोनों जगह आनन्दित होता है–यहाँ भी और परलोक में भी। मैने शुभ-कर्म किया है ‘ सोच आनन्दित होता है, सुगति को प्राप्त हो और भी आनन्दित होता है ।